ग्राम कोदौरा में फर्जी नामांतरण का संगीन मामला उजागर*
“गरीब किसान की पुश्तैनी जमीन हड़पने की साज़िश”
बलरामपुर
(समाचारवाणी)
राजपुर ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम कोदौरा में भूमि संबंधी एक सनसनीखेज फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है, जिसने पूरे क्षेत्र में प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।
ग्राम के एक गरीब किसान कबीर दास ने अपनी पुश्तैनी जमीन के नामांतरण को लेकर जो आरोप लगाए हैं, उसने तहसील प्रशासन के कामकाज की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं।
पीड़ित कबीर दास का आरोप है कि हल्का नंबर-1 के पटवारी ने कुछ प्रभावशाली लोगों की मिलीभगत से कूट रचित दस्तावेज तैयार कर उनकी पुश्तैनी भूमि का नामांतरण (Mutation) किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर कर दिया।
उन्होंने कहा, “मैं एक गरीब किसान हूं, मेरे पूर्वजों की मेहनत की यह जमीन ही मेरा जीवन आधार है। इसे छीनने की जो साज़िश रची गई, वह न सिर्फ एक किसान का हक मारने का अपराध है बल्कि एक अमानवीय कृत्य भी है।”
🔹 नोटरी की भूमिका पर भी सवाल
कबीर दास ने आगे बताया कि इस पूरे षड्यंत्र में नोटरी की भूमिका भी संदिग्ध है। आरोप है कि बिना किसी दस्तावेजी सत्यापन या वास्तविक जांच के, नोटरी ने फर्जी दस्तावेजों का प्रमाणीकरण कर दिया। इससे यह स्पष्ट होता है कि एक सुनियोजित तरीके से यह संपूर्ण नामांतरण प्रक्रिया पूरी की गई, ताकि पीड़ित को कानूनी रूप से भी कमजोर साबित किया जा सके।
🔹 न्याय की गुहार
जब पीड़ित को इस फर्जीवाड़े की भनक लगी, तब उन्होंने तत्काल तहसील न्यायालय राजपुर में आवेदन प्रस्तुत कर न्याय की गुहार लगाई। उन्होंने कहा,
“यह केवल मेरी लड़ाई नहीं है, बल्कि हर उस किसान की आवाज़ है, जो ईमानदारी से अपनी जमीन पर हल चला रहा है और जिसे कुछ भ्रष्ट अधिकारी और दलाल मिलकर उसकी मेहनत की पूंजी से बेदखल करने की कोशिश कर रहे हैं।”
कबीर दास ने इसे राजस्व विभाग के भीतर फैले भ्रष्टाचार की जड़ें उजागर करने वाला मामला बताया और कहा कि “यदि यह फर्जीवाड़ा समय रहते सामने नहीं आता, तो मैं अपने पूर्वजों की जमीन से सदा के लिए वंचित हो जाता।”
🔹 प्रशासन की कार्यवाही
मामले की गंभीरता को देखते हुए तहसीलदार राजपुर श्री सालिक राम गुप्ता ने कहा कि प्रारंभिक जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
उन्होंने आश्वासन दिया कि जाच में दोषियों की पुष्टि होते ही, उनके विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई एवं विभागीय कार्यवाही सुनिश्चित किया जाएगा। प्रशासन इस मामले में कोई ढिलाई नहीं बरतेगा।”
🔹 ग्रामवासियों में आक्रोश
इस घटना से ग्रामवासियों में गहरा आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों ने एक सुर में प्रशासन से मांग की है कि –
“इस प्रकार के फर्जी नामांतरण प्रकरणों की निष्पक्ष जांच कर, दोषियों को उदाहरण स्वरूप सजा दी जाए ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी या बिचौलिया इस तरह गरीबों का हक न छीन सके।”
ग्रामवासी कहते हैं कि जब तक इस प्रकरण में पारदर्शी जांच और न्यायसंगत दंड नहीं होता, वे जन आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे।
ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी कहा कि यदि गरीब की पुश्तैनी जमीन भी सुरक्षित नहीं, तो फिर न्याय की उम्मीद कहां से की जाए?भूमि पर किसान का अधिकार छीनना केवल संपत्ति हड़पना नहीं, उसकी आत्मा को चोट पहुँचाना है।”


